अपना किरदार अपना वक्त अपनी कहानी होती
काश हमारी भी फिल्मों जैसी यह जिंदगानी होती
सुख दुख का गीत गाते गाते कोई कुर्बान हो जाता
भले ही अंगूठा छाप होते पर शायरी जुबानी होती
दुख दर्द का मसला चुटकियों में ही हल हो जाता
एक आवाज पर ही ये सारी दुनियां क़दमों में होती
ना कोई संघर्ष ना कोई मेहनत ना पढ़ाई का झंझट
तीन घंटे में बालक ने जवानी में छलांग लगाई होती
इंसाफ सच धन दौलत रूप रंग ओहदा सब मिलता
इश्के झोपड़ी में रहने को तैयार हरेक हसीना होती
एक दो मुक्के खाके हम सौ सौ को भी निपटा देते
कैसे हीरो मरता भला गोली कितनी ही चलाई होती
अगर मर भी जाते तो कोई गम नहीं रहता दास हमें
निदेशक ने मौत किसी हमशक्ल की दिखाई होती
पर अफ़सोस यह जिन्दगी तो फ़िल्म से जुदा बहुत
हर पल नई मुश्किल कुछ सुलझन तो बनाई होती
झूंठ सच न्याय अन्याय आदर रूप रंग धन दौलत
इश्क की फिल्म में कुछ हकीकत तो दिखाई होती

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




