है क्या तेरा कोई अता-पता,
ये मुझे तू ज़रा दे बता।
तुझसे मिलना है मुझे,
पर कैसे मिलूं ये नहीं है पता?
हमें है तुझसे बहुत वफ़ा,
पर कहीं तू है तो नहीं मुझसे ख़फ़ा।
क्या हुई तो नहीं मुझसे कोई खता,
ये तू मुझे ज़रा दे बता।।
मेरी नज़्मों को तुझ तक पहुंचाने का,
कोई जरिया हो तो दे मुझे बता।
तुम्हें सुनाना चाहती हूॅं मैं मेरी नज़्में,
पर कैसे सुनाऊं ये नहीं है पता.........?
मेरा तुझसे है कोई तो राब्ता,
पर तुझे नहीं है ये पता।
कि करता है कोई तुझसे इश्क़ बहुत,
जो है तुझसे दूर कहीं लापता।।
है क्या तेरा कोई अता-पता,
ये मुझे तू जरा दे बता........
✍ रीना कुमारी प्रजापत ✍