आ जाऊँगा उनकी आँखों में नींद बनकर वो मुझको रातें तो बनाये।
धड़केंगे उनकी धड़कनो में रवानी से वो मुझकों सासें तो बनाये।।1।।
शराफत तो देखो मेरी कि उनकी महफ़िल में हम अंजान बन के आये।
शरारत तो देखो उनकी बज्म में मेरे ही कत्ल का सामान बन के आये।।2।।
कुदरत के जर्रे-जर्रे से लेकर उसकी खूबी खुदा ने उसको बनाया है।
हैं इतने मासूम उफ्फ अल्लाह ही उनके जलवे से अब मुझको बचाये।।3।।
थोडा वक़्त और रुक जाओ दोस्तों घर को अपने जाने के लिए।
कबसे खड़े है उनके मोहल्ले में खुदा उनका दीदार तो कराये।।4।।
इज़हार भी कर देंगे हम उनसे अपने इश्क का थोड़ा समझ ले उनको।
कोई उनको जानने वाला, मेरा दिल से उनका तार्रुफ़ तो कराये।।5।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ