शान्त होकर एक साथ इबादत करते है!
खुदाई की छोडो खुदा से बात करते है!
बेवजह आपाधापी और तकरार छोडो,
अब तो अच्छे दिन से मुलाकात करते है!
कितना कुछ समेटना चाहते दो हाथो से,
उन्हीं हाथो से सेवा की शुरुआत करते है!
बीती हुई जिंदगी में हर तरफ दर्द के रेले,
सुने बहुत 'उपदेश' अब अमल करते है!
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद