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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

दिल मचलने लगता है - प्रेम 😍 कवि - वेदव्यास मिश्र

दिल मचलने लगता है,
आपको जब भी देखता हूँ !!
होंठ लगते हैं कँपकपाने,
आपको जब भी देखता हूँ !!
होने लगता है न जाने क्या-क्या,
जानेमन जब तुम्हें सोचता हूँ !!

तलैया में नहाओ सँभलके,
कहीं आग न लग जाये पानी में !!
सँभलके छुड़ाओ कपड़े बदन से,
तौबा-तौबा हो न जाये हवा में !!
दिल फफकने लगता है,
आपको जब भी देखता हूँ !!

इक हलचल सी होती है,
इक तूफाँ सा होता है !!
कुछ अड़चन सी होती है,
कुछ उलझन सा होता है !!
कुछ तो खिसकने लगता है,
आपको जब भी देखता हूँ !!

- प्रेम कवि वेदव्यास मिश्र


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam Rachna Acharya Ji 🙏🙏, Bahut khoob Prem m hota h Aksar yahi kuch, Aapki Rachna to Rachna aapke keywords Dhoom macha rahe hain. Pahle aapki rachnayein, uske baad m un par lambi lambi charcha ka hona aur ab jaduyi keywords ne kamaal kar diya hai...

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी, सारा कमाल तो आपकी दोस्ती का है !! पहली बार तो मेरी रचना को इतनी अहमियत देने वाला पारखी दोस्त मिला है !! आपके उत्साहवर्धन से रचनातमकत का दो पैग वैसे ही चढ़ गया है !! हम तो चाहते हैं..ये दोस्ती की खुमारी कभी न उतरे !! 🙏🙏😍😍🙏🙏

रमेश चंद्र said

बहुत सुंदर रचना यह प्रेम का असर है

वेदव्यास मिश्र said

रमेश चंद्र जी, सही बात है महोदय..मौसम का और आप सभी दोस्तों की दुआओं का ही असर है !! अगर आप लोगों का सपोर्ट रहा तो मोहब्बत के मैदान में बहुमत से जीतेंगे 🙏💜💝💜🙏

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