सत्ता की कल्लोलिनी ; उष्ण-समीर ,
मूकबघिर कर्णधार ; दिखते हैं सुधीर,
रुग्ण मानसिकता ; कहलाते है वीर ,
धनाढ्य पृष्ठभूमि ; है पाषाण-लकीर ,
भिखमंगी नीयत ; कहलाते दानवीर,
संवैधानिक शपथ ; लकीर के फकीर,
सत्यमेवजयते ; करते नीलाम-जमीर,
तिरंगा है लहराते ; पैंतरेवाज-धर्मवीर,
देश की आन-बान-शान ; यथा खमीर,
मेरा भारत महान ; चिंतन है गम्भीर !
✒️..... राजेश कुमार कौशल