जैसे तुम गए ऐसे तो कोई जाता नहीं
दिल को इतना भी कोई तड़पाता नहीं
सब देख कर भी आँखें यकीं करती नहीं
समझाती हूंँ मगर दिल है कि मानता नहीं
जो हिसाब तुम्हें करने थे पूरे रह गए अधूरे
मुझे किसी सवाल का जवाब मिल पाता नहीं
किसी की बूरी तुमको नज़र लग गई शायद
क्योंकि बहारों में कोई फूल मुरझाता नहीं
अब तो ज़िंदगी नहीं सिर्फ़ उम्र कट रही है
बसंत का मौसम भी मुझको भाता नहीं