समझकर इन गलियों में
मुझे आवारा कोई मुझे बदनाम
ना करे.
मैं तो अपने शादिक की दरों दीवार को
चूमने आता हूं।
उसकी आहटों से सनी कदमों की
धूल चूमने आता हूं।
वो शौक़ से चली गई या
जो गर मिल गया होगा हमसे अच्छा कोई
पर मैं वही ख़ाकसार उसकी गलियों में
उसके होने का निशान ढूंढने आता हूं
समझकर कोई आशिक आवारा
या लगता हो जैसे कोई बेचारा
मुझे रुसवा न करे ये ज़माना
मुझे तो बस इतना हीं है बताना कि
मैं तो अपने यार के एक दीदार के वास्ते
नज़र आता हूं..
मैं तो अपने गुले गुलज़ार को ढूंढने आता हूं....
बड़ा ही तकलीफ़ में है ये दिल बेचारा
इसको शुकून दिलाने आता हूं।
वो तो गई तो न फ़िर मिली दुबारा
पर याद कर जो पल संग गुजारे थे उसके
उन लम्हों को फिर से जीने आता हूं ।
शायद कभी दिख जाए भूले भटके
वो चांद मेरा..
की जिसकी चांदनी में मैं फिर से सराबोर
होना चाहता हूं ।
दरस दिल ने लिए उसकी एक दीदार को
बस इसलिए मारा मारा फिरता हूं ।
न समझे ये ज़माना मुझे एक पगला दीवाना
मैं तो इन गलियों में अपने प्यार को
तलाशने आता हूं..
मैं तो अपने प्यार को ढूंढने आता हूं..
मैं तो अपने प्यार को ढूंढने आता हूं..

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




