चंद्रधरा पर जा करके
एक दिन फूल खिला देंगे
यही सपना लेकर फिरते हैं
हम आज के हिंदूस्तानी है
हथियारों के दम पर जो
गरज रहें हैं धरती पर
मासूमों का लहू बहाकर
संप्रभुता की शक्ति पर
इन पत्थर के सीने को
पिघलाकर दिखा देंगे
यही सपना लेकर फिरतें हैं
हम आए के हिंदूस्तानी हैं
विश्व पटल पर जो हमने
अपनी छवि बनाई है
कोई झुकाना चाहता है
नेकी जो हमने कमाई है
उसके सीने पलित भ्रम को
जलाकर दिखा देंगे
यही सपना लेकर फिरतें हैं
हम आज के हिंदूस्तानी हैं
प्रायोजित आतंकवाद का
खेल नहीं चलने देंगे
अपनी धर्म और संस्कृति को
किसी को नहीं छलने देंगे
जो हमें हिलाना चाहेगा
उसे हिलाकर दिखा देंगे
यही सपना लेकर फिरतें हैं
हम आज के हिंदूस्तानी हैं।।
लोग अपने हैं सभी यहां के
अपनों से हम लड़ लेंगे
जो होगा मतभेद हमारे
हम ही सुलह कर लेंगे
गैर लगाए जो चिंगारी
उसे बुझाकर दिखा देंगे
यही सपना लेकर फिरतें हैं
हम आज के हिंदूस्तानी हैं।।
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







