ज़मीं पर ज़मीं से सियासत लुटाते,
हमीं से हमीं को सियासत बताते,
सफल हैं अकल के नकल कराते,
उन्हीं को मौज़ जो मौज़ हैं कमाते।।
ढूंढ़ते हैं सच वो सच बोलता नहीं,
कहते हैं सच वो पर तौलता नहीं,
कहते हैं मानो हे बरखुरदार,हम ही,
बस सच हैं, पर वो समझता नहीं।।
जमाना है आज ए आई की आई में,
छुपा लें अब सच को झूठ की छायीं में,
समझा दें जमाने को निज के फसाने में,
आई है ए आई लोगों की झूठी कमाई में।।
पढ़ना जो चाहें तो पढ़ उनके रुख को,
अंधेरा नहीं, आलोक है बता दें उलूक को,
आयेगा समय एक दिन नगरी उलूक की,
बनेंगी सरस मधुर बहुमत हंसी सलूक की।।
अपनें को जानें निज फ़र्ज़ को पहचानें,
दायित्व यह आप का मत दें बन सयानें,
सोचें और समझें नि:स्वार्थ पक्ष मानें,
मत दें देश हित में मतदान पुनीत जानें।।
-कृष्ण मुरारी पाण्डेय

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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