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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

क्यूं जिये जा रहे हैं

कापीराइट गजल

क्यूं प्रदूषण के साथ हम जिये जा रहे हैं
क्यूं हलाहल प्रदूषण का पिये जा रहे हैं

भीड़, गर्मी, शोर और ये प्रदूषण शहर का
किश्तों में सांस क्यूं हम लिये जा रहे हैं

लूट, धोखा, रिश्वत ये मंहगाई शहर की
जुर्म के साये में क्यूं हम जिये जा रहे हैं

चल रही है कैसी, अब हवा ये शहर में
क्यूं अमृत समझ के हम पिये जा रहे हैं

खुदगर्ज होते हैं रिश्ते, शहर में आजकल
रिश्तों में जुर्म हम को ये नजर आ रहे हैं

बसे हुए हैं शहर ये धोखे की नींव पर
हमको धोखे पे धोखा ये दिये जा रहे हैं

माना के शहर में नहीं है दौलत की कमी
फिर गरीबी में लोग क्यूं जिये जा रहे हैं

लगते हैं कई पहरे ये सांसों पे शहर में
जुदा अपने ये खुद से क्यूं किए जा रहे हैं

चकाचौंध हर शहर की लुभाती है बहुत
छोड़ कर गांव क्यूं हम शहर जा रहे हैं

बात कैसी शहर में ये चल रही है यादव
ये जिन्दगी कौन सी हम जिये जा रहे हैं

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

वन्दना सूद said

बहुत सही मुद्दा उठाया आपने sir 🙌🏻🙌🏻✍️✍️कभी हवा से बंदिश है तो कभी बारिश के पानी से पता नहीं कैसी ज़िन्दगी जी रहे हैं हम सब 👌👌बहुत सुंदरता से आपने ज़ाहिर की व्यथा

Lekhram Yadav replied

आदरणीय वन्दना जी आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद गजल पसन्द आई उसके लिए आपका हार्दिक आभार एवं स्वागत है।

रीना कुमारी प्रजापत said

Superb👌

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात सहित आपको हार्दिक नमस्कार मेरी प्यारी बहना, कैसी हो कभी ये भी बता दिया करो। अपना व्हाटस अप नम्बर देने की कृपा करें ताकि हम आपको शूगर की एक बहुत ही प्रभावशाली और असरदार दवा की फोटो भेज सकें ये आपकी शूगर 101 प्रतिशत ठीक करेगी जब से मैंने इसका उपयोग किया है मेरी शूगर नियंत्रण में आ गई है।

श्रेयसी said

बिल्कुल सही लिखा आपने। सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद मेरी प्यारी बहना आपको सादर नमस्कार।

कमलकांत घिरी said

बहुत ही उम्दा रचना सर जी 👌🙏 प्रणाम 🙏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात एवं धन्यवाद सहित सादर नमस्कार कमलकांत भाई।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह यादव जी, बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल। नमस्कार जी।

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सोनवानी समदिल जी, आप को सादर नमस्कार।

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