बन्द मुठठी में दुनियाँ लेकर जन्म लेती हैं बेटियाँ
माँ के दिल चैन और पिता का अभिमान होती हैं बेटियाँ
बन्द मुठठी----------------------------
शिल्पकार की अनुपम कृति होती हैं बेटियाँ
कभी धूप कभी छाँव सी सुख के अनुपम भाव
की धुरी होती हैं बेटियाँ
बन्द मुठठी ---------------------------
ओस की बूंदो सी निर्मल पतित पावनी गंगा हैं बेटियाँ
नव सृजना का हक लेकर अवतरित होती हैं बेटियाँ
बन्द मुठठी----------------------------
धरनी सा हैं धीरज उनमें दुर्गा की शक्ती बेटियाँ
परहित करती कुछ नहीं लेती निश्वार्थ प्रेम हैं बेटियाँ
घर आगंन में महकते फूलो की बगियाँ होती हैं बेटियाँ
बन्द मुठठी---------------------
अगर बेटे हैं कुल का दीपक
तो दो -दो कुलो को रोशन करती हैं बेटियाँ
और क्या कहे इनके बारे में
मेरी भव्या जैसी होती हैं सारी बेटियाँ
#अर्पिता पांडेय