गुल को ऐसी कड़ी सजा ना दीजीये हुज़ूर
खुशबू या रंग बस जुदा ना कीजिये हुज़ूर
इससे बेहतर है उसकी जान आप ले लेना
तोड़ शजर से उसे बस मसल दीजिये हुजूर
बहारों में महकते गुलशन जरा मदहोश हैं
कभी तो कांटों की खबर ले लीजिये हुज़ूर
कल ख़ुशी के माहौल में टकराये थे जाम
आज गम गलत करना है पी लीजिए हुजूर
दास डरता है कोई तन्हा बच्चा सोते सोते
माँ को इसकी तो जरा बुला दीजिये हुज़ूर II