कविता - शादी
अपनी शादी खुशी से
करो न गम करो
मगर शादी में खर्च
जरा कम करो
इस मामले में दूसरों की
शादी देख कर
अड़ोस - पड़ोस के लोगों से
सिख कर
अपने शादी में
ज्यादा खर्च ना लगाओ
अपना पैसा पानी की
तरह ना बहाओ
अगर शादी में बहुत से
लोगों को बुलाओगे तो
वियर विस्की मुर्गा और
मटन खिलाओगे तो
हर आदमी सिर्फ
तुम्हें उसी दिन अच्छा कहेगा
कल से तो फिर
तुम को हर कोई भूल जाएगा
इसी लिए दिमाग में बुद्धि
और विवेक भरो
पंडित बुला कर शादी अपनी
अपने घर पर करो
इस तरह शादी में
बजेट भी घटेगा
अपना रुपए और
पैसा भी बचेगा
अपना रुपए और
पैसा भी बचेगा .......