दोस्ती,
एक अनजाना सा एहसास होती है,
एक अनकहा सा बन्धन होती है।
कहने को ये रिश्ता हम ख़ुद चुनते हैं,
पर बाकी रिश्तों की तरह ये भी नियति की सौगात होती है।
एक ऐसा रिश्ता,
जहाँ कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं,
बोलने से पहले कोई शर्त नहीं।
जहाँ बात करने की चाह हमेशा रहती है,
पर बात ना हो तो भी नाराज़गी नहीं होती है।
एक ऐसा रिश्ता,
जो मम्मी पापा की तरह सलाह देता है,
भाई बहन की तरह कभी तन्हा नहीं रहने देता है।
पास न होकर भी हर पल पास लगता है,
मुश्किल के हर मोड़ पर साथ निभाता है।
एक ऐसा एहसास,
जो दिल के दरवाज़े पर दस्तक दे,
जिसे खोने का डर हो
और कोई कारण उसे टूटने न दे।
अगर सच्चा दोस्त मिल जाए,
तो वह सारथी बन जीवन की हर राह आसान कर जाए ..
वन्दना सूद
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