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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

क्यों रूठ गए?

देखे थे मैंने कई सपने वो सपने क्यों टूट गए ?
किया था मैंने किसी पर विश्वास
वो मुझसे क्यों रूठ गए ?
समझा था मैंने उन्हें अपना
वो पराए क्यों बन गए ?
बनाई थी हमने जीने के लिए कई राहें
वो राहें क्यों मिटा गए ?

देखे थे हमने हज़ारों सपने साथ - साथ रहने के
फिर वो क्यों मुझे यूं छोड़ गए ?
किया था मैंने किसी पर विश्वास
वो मुझसे क्यों रूठ गए ?

जब भी देखती हूॅं उन्हें अपनापन महसूस होता है,
पर वो लोग क्यों मुझे अपना समझते नहीं ?
अपनी मां समान समझा था उन्हें और उन्हें
अपने पिता समान
पर वो क्यों मुझे अपनी बेटी समझते नहीं ?
माना था अपना बड़ा भाई उन्हें और उन्हें
अपनी बड़ी बहन
पर वो क्यों मुझे देखते तक नहीं ?

देखे थे मैंने कई सपने वो सपने क्यों टूट गए ?
किया था मैंने किसी पर विश्वास
वो मुझसे क्यों रूठ गए ?

💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Sanjay Srivastva said

अंतर्मन के दर्द को बखूबी से बयान किया, लाजवाब👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji bhaisahab ye kuch haqiqat bhi hai humari or ye kavita meri dusri kavita hai jo ki maine 2015 mein likhi thi बहुत बहुत आभार आपका 🙏🙏

Lekhram Yadav said

बहुत ही खूबसूरत रचना, सुप्रभात सहित नमस्कार मेरी प्यारी बहना।

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

आपकी लेखनी मधुर चाल रही । हकीकत खोलकर लिख रही । बहुत खूब...👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका सर जी 🙏

वन्दना सूद said

Sentimental words

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏

श्रेयसी said

Sach me yahi hota hai .Bahut sundar 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji shukriya

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