देखे थे मैंने कई सपने वो सपने क्यों टूट गए ?
किया था मैंने किसी पर विश्वास
वो मुझसे क्यों रूठ गए ?
समझा था मैंने उन्हें अपना
वो पराए क्यों बन गए ?
बनाई थी हमने जीने के लिए कई राहें
वो राहें क्यों मिटा गए ?
देखे थे हमने हज़ारों सपने साथ - साथ रहने के
फिर वो क्यों मुझे यूं छोड़ गए ?
किया था मैंने किसी पर विश्वास
वो मुझसे क्यों रूठ गए ?
जब भी देखती हूॅं उन्हें अपनापन महसूस होता है,
पर वो लोग क्यों मुझे अपना समझते नहीं ?
अपनी मां समान समझा था उन्हें और उन्हें
अपने पिता समान
पर वो क्यों मुझे अपनी बेटी समझते नहीं ?
माना था अपना बड़ा भाई उन्हें और उन्हें
अपनी बड़ी बहन
पर वो क्यों मुझे देखते तक नहीं ?
देखे थे मैंने कई सपने वो सपने क्यों टूट गए ?
किया था मैंने किसी पर विश्वास
वो मुझसे क्यों रूठ गए ?
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐