बात बात पर दंगा फसाद
लोगों में बढ़ रहा अवसाद
सिस्टम में लग रहा फंगस
पल पल सामाजिक मूल्यों
का ह्रास हो रहा है।
हे बापू आप फिर से
अवतरित हों यह देश
त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहा है।
देश के रक्षक भक्षक बन रहें
सिर्फ लोभ मोह छल प्रपंच
रच रहें।
आम आदमी आम बनें रहें
ख़ास यहां महाखास हो रहें
पल पल थाली से घट रहा भोजन है
हे बापू आप फिर से आ जाओ
आपकी यहां सख़्त ज़रूरत है।
यहां राजा को न देश की चिंता
ना जनता की कोई सुनता है
अपने अहंकार की आग में आजकल
हर कोई जलता है।
कराह रही यह भारत माता
इसके ज़ख़्म नित्य नए और
गहरे होते हैं।
अय्याशी सत्ता के लोभी
इसे पल पल बदनाम करतें हैं।
फिर से कोई बहुजन सुखाए
बहुजन हिताय की बातों को करने
वाले की ज़रूरत है
हे बापू आप फिर से प्रकट हों
देश को आपकी चाहत है।
अमीर गरीब जात पात की
दिन प्रति दिन हो रही गहरी खाई है
अपने अपनों को लूट रहें
आपस में एक दूसरे को कूट रहें
क्या अजीब घड़ी आई है।
पेड़ पौधे खेत खलिहान
नदी सरोवर पूजे जाने वाले इस देश में
मानवता पर हर पल चोट है।
लोकतंत्र में आदमी नहीं नोटों की वोट है।
हर जगह जालसाजी की मकड़जाल
पूरी जनता बेहाल है
इसलिए फिर से आ जाओ बापू
इस देश को आपका ख्याल है।
सॉल्व करने इस देश का जो
अनगिनत सवाल है
फिर से अवतरित हो जाओ बापू की
देश बड़ा बेहाल है
देश में बड़ा सवाल है
देश में मचा बवाल है
देश बड़ा बेहाल है...
देश में बड़ा सवाल है..

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




