प्रकृति की शांति,
हवाओं की सरगम,
बारिश की बूँदें,
मन को भातीं
कमल की धमक।
कुदरत की सुंदरता,
अद्भुत नजारे,
सबको भाते हैं,
यहाँ खुदा की
खास कारगरियाँ।
मौसम के बदलते रंग,
लाएं नयी राहत,
चिरागों की तरह,
जीवन को रोशन
करते हैं वे व्यक्तित्व।
प्रकृति की गोद में
हम सभी का निवास,
उसकी लय में
हम भी, गाते हैं
अपना स्वर विश्वास।
बारिश की बूंदें,
मिटाती हैं प्यास,
प्रकृति की शांति में,
मिलती हैं सबको विश्राम।
हवाओं की सरगम,
सुन कर है ध्यान लगाएं,
कुदरत के इस नजारे में,
खो जाएं वे बेखुदी में।
इस नयी सुन्दरता में,
हम सभी की है
भगवान की महिमा,
प्रकृति के
इस रंगीन खेल में,
हम सभी हैं
उसकी
प्रसंगिक कहानियों के लेखक।
----अशोक कुमार पचौरी