अनुभव की राह
है हिम्मत तो जरा सामने आकर देखो
पीठ पे क्या वार करते हो, सीने में मारकर देखो
एसी में तो हमेशा बैठते हो जनाब दफ्तर में
कभी उस बस्ती की हवा तो खाकर देखो।
कितना भी रूठा हो पड़ोसी तुम्हारा यार !
बस एक बार उसके दिल में जाकर देखो।
मुझे पता है कि उसके दोनों हाथ नहीं हैं
हाथ अपना उसके कंधे पर लाकर देखो।
ये मत कहना कि सच्चा प्यार है नहीं कहीं
एक ही बार उस राधा के घर जाकर देखो।
बेटा क्यों तुमसे बैर करेगा मेरे भाई !
कभी बेटे के साथ चार कदम जाकर देखो।
बहू क्यों नफरत करती रहती है तुम्हारी
कभी बहू को अपनी बेटी बनाकर देखो।
नदी की पूजा बहुत हो गई है जनाब
उसकी लहरों के संग कभी गाकर देखो।
ध'न्यकुमार जिनपाल बिराजदार, सोलापुर
सर्वाधिकार सुरक्षित है🙏

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




