अदावत, करें भी तो फिर किससे करें।
मुहब्बत! करें भी तो फिर किससे करें।
कौन अपना, कौन पराया, जाने कौन?
हिफाज़त करें भी तो फिर किससे करें।
हम तो मारे हुए हैं, अपनी किस्मत के,
शिकायत करें भी तो फिर किससे करें।
माना हमारा इश्क़ था सौदा एकतरफा,
तिजारत करें भी तो फिर किससे करें।
दिलरुबा ही नहीं मेरी, फिर जमाने में,
बगावत, करें भी तो फिर किससे करें।
🖊️सुभाष कुमार यादव