बाग गया फूलों से पूछा,
क्या दर्द तुम्हें भी होता है ??
प्रत्युत्तर में मुस्काई वो,
थोड़ी सी ली अंगड़ाई वो !!
उसने कहा धीमे से कान में,
और कोई ना सुन ले बात को !!
अपना धर्म है खिलना-झड़ना ,
दोनों में उत्सव है मनाना !!
पूछिये कुछ भी सिवाय मेरे,
अडिग रहूँगी धर्म में मेरे !!
सकुचाकर बस इतना पूछा,
उलझन है इक मन में मेरे !!
एक सवाल है मन में मेरे,
प्रेम कवि क्यूँ रोता है ??
मासूमियत से उसने बताया,
ओस की बूँदों को टपकाया !!
जब भी कोई मुझे मसलता,
कवि अपना दिल मुझे समझता !!
देख कवि ही तड़पता है,
इसीलिए कवि रोता है !!
सबको अपना समझता है,
इसीलिए कवि रोता है !!
आज वेदव्यास मिश्र की इमोशनल कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




