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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

प्रेम कवि क्यूँ रोता है ..

बाग गया फूलों से पूछा,
क्या दर्द तुम्हें भी होता है ??

प्रत्युत्तर में मुस्काई वो,
थोड़ी सी ली अंगड़ाई वो !!

उसने कहा धीमे से कान में,
और कोई ना सुन ले बात को !!

अपना धर्म है खिलना-झड़ना ,
दोनों में उत्सव है मनाना !!

पूछिये कुछ भी सिवाय मेरे,
अडिग रहूँगी धर्म में मेरे !!

सकुचाकर बस इतना पूछा,
उलझन है इक मन में मेरे !!

एक सवाल है मन में मेरे,
प्रेम कवि क्यूँ रोता है ??

मासूमियत से उसने बताया,
ओस की बूँदों को टपकाया !!

जब भी कोई मुझे मसलता,
कवि अपना दिल मुझे समझता !!

देख कवि ही तड़पता है,
इसीलिए कवि रोता है !!

सबको अपना समझता है,
इसीलिए कवि रोता है !!

आज वेदव्यास मिश्र की इमोशनल कलम से..


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
 बाग गया फूलों से पूछा      क्या दर्द तुम्हें भी होता है ?? प्रत्युत्तर में मुस्काई वो      थोड़ी सी ली अंगड़ाई वो !! उसने कहा धीमे से कान में      और कोई ना सुन ले बात को !! अपना धर्म है खिलना-झड़ना       दोनों में उत्सव है मनाना !! पूछिये कुछ भी सिवाय मेरे      अडिग रहूँगी धर्म में मेरे !! सकुचाकर बस इतना पूछा      उलझन है इक मन में मेरे !! एक सवाल है मन में मेरे      प्रेम कवि क्यूँ रोता है ?? मासूमियत से उसने बताया      ओस की बूँदों को टपकाया !! जब भी कोई मुझे मसलता      कवि अपना दिल मुझे समझता !! देख कवि ही तड़पता है      इसीलिए कवि रोता है !! सबको अपना समझता है      इसीलिए कवि रोता है !! आज वेदव्यास मिश्र की इमोशनल कलम से.. 


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (13)

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सुभाष कुमार यादव said

अद्भुत रचना सर जी। कवि कर्म को अपनी रचना कौशल से जिस प्रकार अभिव्यक्त किया है, लाजवाब है। निश्चय ही जिसने पर पीड़ा को स्व पीड़ा बनाया उनकी रचना श्रेष्ठतम हो जाती है।
जब भी कोई मुझे मसलता,
कवि अपना दिल मुझे समझता !!
आपकी रचना पढ़कर बाबा नागार्जुन की कविता 'कालिदास सच-सच बतलाना' की याद आ गई। 👌👌🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह बहुत सुंदर रचना आदरणीय आचार्य जी कवि धर्म का बहुत सुंदर गुणगान आपके अंदाज़ ने इसे और सुंदर बना दिया है, Aapko Saadar Pranam Adarneey Acharya Ji 🙏🙏💐💐

वेदव्यास मिश्र said

सुभाष कुमार यादव सर जी,
बहुत-बहुत बधाई शुभकामनायें प्रतिष्ठित रचनाकार सम्मान प्राप्त करने के लिए !! मैं यूँ ही तारीफ नहीं करता था आपके कलम की..आपके रचनाओं की !!
सचमुच बहुत-बहुत खुशी हुई व्यक्तिगत तौर पर !!
अभी तो ये इक शुरूआत है..आगे-आगे देखिये होता है क्या..आपकी रचनायें इक ट्रीटमेंट हैं..एक भटके हुए मुसाफिर के लिए प्रकाश स्तंभ है !!
नाम के अनुसार एक युवा क्रांति भी है !!
शाबास..बधाईयाँ 👌👌
रही बात मेरे रचनाकार की तो मैं हृदय से अनुगृहीत हूँ आपका !!
नागार्जुन जी की कवितायें तो मेरी फैवरिट हैं !!
उनके सामने तो हम तिनके भी नहीं !!
हाँ,एक प्रयास जरूर रहता है..दिल की सच्चाई कविता के माध्यम से जरूर सामने आ जाये !!
आप जैसे जिन्दादिल शुभचिंतक जब मिलते हैं तो मन खुश हो जाता है..इस बाग में अपने जैसे दोस्त को पाकर !!
दोस्ती कोई उम्र का बंधन नहीं,बल्कि मन का एक संगत माँगता है !!
आभार नमस्कार 🙏💝💝🙏

वेदव्यास मिश्र said

सुभाष कुमार यादव जी,
"प्रतिशत" को "प्रतिष्ठित" पढ़ियेगा और "बार" को "बाग" !!
त्रुटि के लिए क्षमा चाहता हूँ !! वो क्या है ना..भावनायें लिखते समय जब प्रबल होती हैं तो शब्द कभी-कभी नटखट हो जाते हैं और बदमाशियाँ करने लगते हैं तथा अपने आकार-प्रकार बदल कर चिढ़ाने लगते हैं !!
खैर कवियों का ये सामान्य लक्षण है..इसलिए भी कवि कभी-कभी रोता 😍 है !!

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी,
शुभाशीष नमन भाई अशोक जी..हृदय तल की अन्तिम गहराईयों से !!
ईश्वर से विनती यही है कि आप स्वस्थ रहें,प्रसन्न रहें और अपना अनमोल सानिध्य इस मंच को प्रदान करते रहें !!
मैं समझ सकता हूँ आपके भावनाओं के पल्लवन को..व्याख्या को और विस्तार को !!
पुन: मिलते हैं किसी और नई रचनाओं के साथ !!
आप होंगे..हम होंगे..लिखन्तु की मधुशाला होगी और एक से बढ़कर शायर,ग़ज़लकार ,गीतकार और कवियों की मेहफ़िल !!
एक से बढ़कर एक कूज़ागर हैं यहाँ और एक से बढ़कर एक रूबाइयाँ 💝💝
आभार सहृदय सधन्यवाद 🍵🍵

वन्दना सूद said

बहुत सुंदर sir 👌👌👏👏बहुत सही कहा आपने कि कवि सबको समझता है शायद इसलिए कवि है

वेदव्यास मिश्र said

वन्दना सूद मैम जी,
आपकी उपस्थिति पाकर बहुत अच्छा लगा ..सच कहूँ तो ऐसा लग रहा है जैसे लिखन्तु डाॅट काॅम रचनाकारों की एक खूबसूरत काॅलोनी है और हम सब यहाँ के नेकदिल बाशिंदे हैं !!

नेकदिल मैंने इसलिए कहा क्योंकि कवि शायद ही बददिमाग होता होगा !!
अगर कोई बददिमाग होता होगा तो उसे भगवान ही बचाये !!
नमस्कार धन्यवाद आभार 🙏💝💝🙏

आलोक कुमार गुप्ता said

फूल की मासूमियत और कवि का दर्द, दोनों की जुबानी ज़िंदगी की सच्चाई बयान करती ये पंक्तियाँ दिल को छू जाती हैं 🌸💧🖋️

वेदव्यास मिश्र said

आलोक कुमार गुप्ता जी,
बेहद सधी हुई ,नपी-तुली और सटीक समीक्षा पाकर स्वयं को धन्य महसूस कर रहा हूँ गुप्ता जी !!
कम बातों में आपने पूरी कविता को ही आलोकित कर दिया है !!
नतमस्तक आभार 🍵🍵

ANIL KUMAR SHARMA said

यह कवि की संवेदनशील आत्मा का सबसे सुंदर चित्रण है,

शब्दों की यह संवेदना अगर किसी संग्रह में संजोई जाए, तो यह रचना शीर्ष पर होगी 👌👌

वेदव्यास मिश्र said

ANIL KUMAR SHARMA जी,
यह आप जैसे पारखी पाठक की नज़रों का बड़प्पन है सर जी जो रचनाओं को आपने इतने नजदीक से महसूस किया और इतने प्यार से अपनेपन से समीक्षा दी है कि मैं नतमस्तक हो गया हूँ !!!
आभार सहृदय 🙏🙏💝💝🙏

Ankush Gupta said

Bahut khoob laazwaab rachna 👌👌

वेदव्यास मिश्र said

Ankush Gupta जी,
आभार अभिवादन सहृदय 🙏🙏

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