अजीज रहे अजीज रहकर जी न सके।
प्यासे रहे और सामने पानी पी न सके।।
कब खारा हुआ पानी पता ही न चला।
याद आते रहे पुराने दिन पसीज न सके।।
वक्त गुजरने दिया जिद्द के मारे 'उपदेश'।
लो किनारे बैठे रहे उस पार उतर न सके।।
मिले पहले भी बहुत आओ फिर मिले यों।
लाख कोशिश के बाद दिल पिघल न सके।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद