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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

एक लड़की बनी है दुल्हन

आज फिर एक लड़की बनी है दुल्हन
सजाए है उसने कितने ही सपने,सजाया हुआ है आज उसने ये तन।
कितनी खुश है वो कितना खुश है उसका ये मन
हो रही है उसकी शादी बिना दिए ज्यादा धन।
हर कोई उसको दे रहा बधाईयाँ, हर कोई उसकी ले रहा बलाईया
दूल्हे के आज ना जाने ही कितने ठाठ-बाट है
खिलाया जा रहा है खाना पर कितनी लंबी-चौडी ये बारात है।
हाय! कम पड़ गया खाना
बोला दूल्हा हो गई है बेइज्जती, बिना दुल्हन के बारात को होगा वापस ले जाना।
दुल्हन के पिता गिड़गिड़ा रहे
चींख रहे चिल्ला रहे।
जीवन भर की इज्जत और लगा दी है कमाई
ना करो ऐसा वर्ना हो जाएगी हमारी जग हंसाई।
दूल्हा बोला ठीक है इस बात पर दे दो हमे कार
वर्ना मिल रहे हमे बहुत से रिश्ते जो हर तरह से है तैयार।
आई दुल्हन बोली,"क्या यही मिले है तुम्हे माँ-बाप से संस्कार
पापा आप ना गिडगिडाए
माँगकर इन भिखारियो से भीख अपनी इज्जत ना गिराए।
नहीं करनी हमे ऐसी शादी
बन जाएगी ये हमारे जीवन की बर्बादी।
इन दरिंदो से ईश्वर ने हमे बचा लिया
पढ़ी-लिखी आपकी इस बेटी ने समझो नया जीवन पा लिया।
ना दो इन्हे कोई भी दहेज
बेटी को ही अपनी लो आप सहेज,"।
गले लगाकर बेटी को खूब पिता रोया
इन दरिंदो की तुझे भेंट चढ़ाकर बेटी तुझे मैने नहीं खोया।
चली गई वापस बारात बिना साथ लिए दुल्हन
हर किसी के चेहरे पर छाई हुई थी शिकन।
दुल्हन और उसके पिता के चेहरे पर थी मुस्कान
बच गई थी दहेज की बलि चढने से आज एक जान
मिल गया कितने ही लोगो को नया आज एक ज्ञान।
-राशिका




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

Lekhram Yadav said

अति सुन्दर रचना, समाज का एक कुरूप चेहरा सामने ला कर दहेज की सामाजिक बुराई के विरूद्ध इस लड़ाई को जारी रखिए, हम आपके साथ हैं। प्रणाम स्वीकार कीजिए।

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत बढ़िया very intresting 👌👌👌

राशिका said

लेखराम यादव जी प्रणाम ,सर समाज मे ज्यादा दहेज मिलना बड़ी कार मिलना ये शान समझा जाने लगा है,परन्तु उस पिता की स्थिति कोई नहीं समझता जो कर्जो मे दब जाता है।बैरंग बारात का लौट जाना एक आम किस्सा बन गया है।इस कुरिति को मिटाने के प्रयास किए जाने चाहिए ।धन्यवाद

राशिका said

धन्यवाद रीना कुमार प्रजापत जी,आप जैसी बड़ी लेखिका के द्वारा की गई समीक्षा से हमे बहुत प्रोत्साहन मिलता है।

राशिका said

लेखराम यादव जी आप जैसे बड़े लेखको के सहयोग से अवश्य ही कुछ दहेज प्रथा जैसी कुरीतियाँ अवश्य ही एक दिन खत्म हो जाएंगी।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar rachna, bahut sundar sandesh, sakaratmak bhavuk nirnayatmak vevieksheelata se bhari huyi rachna jo samaj m apni Amit chhap chhodne m swayam m saksham h...iska prabhav samaaj m aajewan rahega Jo bhi padhega usko sach m ek naya Gyan milega...Pranam Mahodayaa

राशिका said

प्रणाम अशोक कुमार पचौरी जी,आप जैसे बड़े लेखक के द्वारा की गई समीक्षा सच मे हमे बहुत प्रोत्साहित करती है।रचना को इतनी गहराई से समझने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

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