जाने अनजाने में हृदय रोग होने पर।
क्षण क्षण मे कौंधे विरह योग होने पर।।
तन्हाई में विचार प्रबल उठने लग जाते।
स्वप्न सृजित होने लगते यादे बोने पर।।
घनघोर घटा घिरकर आ जाती 'उपदेश'।
घन-भाव घुमड आते हृदय से रोने पर।।
ऋतु-मोहिनी लाएगी मंद बयार बनकर।
तब कहीं लहरायेगी हवा तुम्हारे होने पर।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद