एक बार मुझे दिल में
एक बार मुझे दिल में बसाओ तो सही
उलझन है क्या मन में बताओ तो सही
जज्बात हैं क्यूं घायल तुम्हारी नजरों में
अब मरहम कोई इन पर लगाओ
तो सही
सुख दुख तो जिन्दगी में आते ही रहेगे
अब चादर कोई सुख की बिछाओ
तो सही
शिकवा है कोई हमसे शिकायत
है कोई
धुल जाएंगे निगाहों में बसाओ
तो सही
इस जमाने में हैं बहुत अब जलने
वाले
इस जमाने को अपना बनाओ
तो सही
र॔गीं है बङी दुनियां मोहब्बत की
सनम
नफरत का जरा चश्मा हटाओ
तो सही
मगर गजलों का अभी बाकी है
यादव
शमां कोई महफिल में जलाओ
तो सही
लेखराम यादव
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