तेरी यादों की आँधी जब दिल को छू जाती है,
अश्क़ बनके हर तड़प आँखों से झर जाती है।
चुप हैं लब, पर दर्द कराहता है सीने में,
हर साँस तेरी कमी से उलझकर रह जाती है।
रातें सुलगती हैं तन्हाइयों की आग में,
नींद भी तेरे ख्वाबों में खोकर रह जाती है।
तेरे बिना ये बहारें भी पतझड़ सी लगें,
खुशबू तक बेज़ार सी राहों में बिखर जाती है।
लौट आ कि ये दिल अब टूटा सा लगता है,
इश्क़ तेरा अब भी धड़कनों में गूंज जाता है।