हास्य -व्यंग
इंकी लाल का काला कारनामा- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात "
इंकी लाल, चालाक है बहुत,
दफ्तर में बैठी, करती है शरारत।
सरकारी कागज़ों को चुराती है चुपके से, बेईमानी का खेल खेलती है बेखबर से।
दस्तावेज़ों की थैली में भरती है, घर ले जाती है, जैसे कोई खजाना।
बेचती है दलालों को, मोटी रकम पाती है, अपने जीवन को खुशहाल बनाती है।
कानून का डर नहीं है उसको, नैतिकता की कोई परवाह नहीं।
अपने फायदे के लिए, कुछ भी कर सकती है, बेईमानी का रास्ता अपनाती है।
गरीबों की हालत देखती नहीं, अमीरों की दौलत में मस्त रहती है।
देश की संपत्ति को लूटती है, अपने बैंक बैलेंस को बढ़ाती है।
एक दिन पकड़ी गई इंकी लाल, तब पता चला सारा हाल।
लोगों ने कहा, "शर्म कर, इंकी लाल,
तूने देश को किया है धोखा बहुत बड़ा।
अंतिम में जेल हुई उसकी सजा, सबक मिला उसे बहुत बड़ा।