New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ऐ वक़्त!थोड़ी देर ठहर जा

ऐ वक़्त ! थोड़ी देर ठहर जा
ऐ वक़्त ! थोड़ी देर ठहर जा ,ज़िन्दगी जीनी तो अभी बाक़ी है।
कुछ जज़्बात बयान करने अभी बाक़ी हैं,
कुछ एहसास जीने अभी बाक़ी हैं।
ज़िन्दगी की रफ़्तार में बचपन बीता ,ज़िम्मेदारी मिली,
हमसफ़र से यूँ मिले कि कुछ अपने पीछे छूट गए…
ऐ वक़्त ! थोड़ी देर ठहर जा,जिन्हें पीछे छोड़ आए थे उनके साथ जीना तो अभी बाक़ी है।
वक़्त बीता, परिवार बना,बच्चों की चहचहाहट मन को ऐसी भायी कि हमसफ़र का वक़्त ,कुछ ख़्वाब अधूरे रह गए…
ऐ वक़्त ! थोड़ी देर ठहर जा,हमसफ़र से गुफ़्तगू अभी बाक़ी है।
परिवार बड़ा,दादा-दादी,नाना-नानी का दौर ऐसा आया कि सब रिश्ते फीके पड़ गए…
ऐ वक़्त ! थोड़ी देर ठहर जा,ख़ुशियाँ समेटनी अभी बाक़ी हैं।
ज़िन्दगी के इस खूबसूरत सफ़र की जिम्मेदारियाँ ख़त्म
हो गईं और आज फिर से हम दो ही रह गए,मैं और मेरा हमसफ़र …
ऐ वक़्त ! आज भी यही कहना है थोड़ी देर और ठहर जा,अपनों के लिए बहुत जी लिए अपने लिए जीना तो अभी बाक़ी है ॥
वन्दना सूद




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Muskan Kaushik said

Bahut achha likha mam bhavuk kar diya aapne jeewan ka sampurn satya aur vrtant isme kah diya aur last ki line अपने लिए जीना तो अभी बाक़ी है truely feels me like abhi royi ki abhi royi.

वन्दना सूद replied

Thankyou ma’am 😊हम सब की लाइफ ऐसी ही है अपनों को time देते हैं तो अपने आप को time देना भूल जाते हैं

फ़िज़ा said

बहुत सुंदर लिखा 👌👌👌👌

वन्दना सूद replied

Thankyou ma’am😊

Kamalkant said

Bahut badiyan likha,

वन्दना सूद replied

Thankyou 😊

Lekhram Yadav said

वन्दना जी जिम्मेदारियां बेशक खत्म हो गई हों लेकिन उसका इम्तिहान अभी भी बाकी है। आपकी रचना लाजवाब है। प्रणाम स्वीकार कीजिए।

वन्दना सूद replied

प्रणाम sir,सही कहा आपने ज़िम्मेदारियों के परिणाम भी देखने होंगे 😊

Vadigi.aruna said

Very nice

वन्दना सूद replied

Thankyou ma’am😊

वेदव्यास मिश्र said

जीना तो अभी बाकी है..ऐ वक़्त, थोड़ी देर और ठहर जा ...भावों और खूबसूरत अहसासों से भरी हुई शानदार डाउन टू अर्थ भरी कविता 💝💝

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 🙏😊

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन