ऐ वक़्त ! थोड़ी देर ठहर जा
ऐ वक़्त ! थोड़ी देर ठहर जा ,ज़िन्दगी जीनी तो अभी बाक़ी है।
कुछ जज़्बात बयान करने अभी बाक़ी हैं,
कुछ एहसास जीने अभी बाक़ी हैं।
ज़िन्दगी की रफ़्तार में बचपन बीता ,ज़िम्मेदारी मिली,
हमसफ़र से यूँ मिले कि कुछ अपने पीछे छूट गए…
ऐ वक़्त ! थोड़ी देर ठहर जा,जिन्हें पीछे छोड़ आए थे उनके साथ जीना तो अभी बाक़ी है।
वक़्त बीता, परिवार बना,बच्चों की चहचहाहट मन को ऐसी भायी कि हमसफ़र का वक़्त ,कुछ ख़्वाब अधूरे रह गए…
ऐ वक़्त ! थोड़ी देर ठहर जा,हमसफ़र से गुफ़्तगू अभी बाक़ी है।
परिवार बड़ा,दादा-दादी,नाना-नानी का दौर ऐसा आया कि सब रिश्ते फीके पड़ गए…
ऐ वक़्त ! थोड़ी देर ठहर जा,ख़ुशियाँ समेटनी अभी बाक़ी हैं।
ज़िन्दगी के इस खूबसूरत सफ़र की जिम्मेदारियाँ ख़त्म
हो गईं और आज फिर से हम दो ही रह गए,मैं और मेरा हमसफ़र …
ऐ वक़्त ! आज भी यही कहना है थोड़ी देर और ठहर जा,अपनों के लिए बहुत जी लिए अपने लिए जीना तो अभी बाक़ी है ॥
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




