कापीराइट गीत
गर चाह कोई हो दिल में तो राह निकल आती है
गर राह कोई हो मुश्किल वो मंजिल बन जाती है
देख के सपनों को सबके अरमान मचल जाते हैं
सपने सच होते ही उनके अनुमान बदल जाते हैं
मेहनत करने से हम सब की तकदीर बदल जाती है
गर राह कोई हो.....................
प्रयास यही होगा अपना फूल खिले हर आंगन में
महकेगा गुलशन अपना होंगी खुशियां हर आंगन में
कोशिश करने से ही सब को मंजिल मिल जाती है
गर राह कोई हो .....................
अब यही ध्येय है अपना कुछ करके नया दिखाना
टकरा कर इन तूफानों से एक रस्ता नया बनाना
कुछ करने की कोशिश में तकदीर बदल जाती है
गर राह कोई हो ......................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है