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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद की ग़ज़ल - यूॅं हॅंसा हॅंसा के मुझ को रुला गया कोई

"ग़ज़ल"

यूॅं हॅंसा हॅंसा के मुझ को रुला गया कोई!
हर ख़ुशी का अंजाम ग़म है बता गया कोई!!

देखा जो उस ने ख़ुद को तो ग़श खा के गिर पड़ी!
मेरी ज़िंदगी को आईना दिखा गया कोई!!

मेरी तन्हाई में इज़ाफ़ा कुछ और कर गया!
मेरे क़रीब से उठ कर चला गया कोई!!

उसे अंदाज़-ए-दिलबरी या जादुगरी कहें!
मेरे दिल का हर इक दर्द मिटा गया कोई!!

मेरी उम्मीद के चराग़ की लौ टिमटिमा रही थी!
लो वो आख़िरी चराग़ भी बुझा गया कोई!!

दाम-ए-इश्क़ से यूॅं तो रहा मैं दूर ही मगर!
मेरी ऑंखों से मेरे दिल में समा गया कोई!!

मैं 'परवेज़' देखता रहा उसे रोका तक नहीं!
मेरे जीते-जी मेरी चिता जला गया कोई!!

- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (16)

+

सुभाष कुमार यादव said

लाजवाब ग़ज़ल परवेज़ सर।👌👌🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह!! परवेज जी, क्या खूब लिखा है आपने। ऐसी रूखसती जिससे दिल बाग-बाग हो जाए तो फिर इस जुदाई को लाखों सलाम। ये तो उसकी दिलबरी भी है और जादूगरी भी। मोहब्बत में सब कुछ कुर्बान करती है आपकी ग़ज़ल।आदाब अर्ज है परवेज जी।🌹🌹🙏

सरिता पाठक said

बहुत hi खूबसूरत ग़ज़ल हर पंक्ति ne दिल छू लिया आप हमेशा ही लाजबाब लिखते हैँ, सर जी को आदाब 👌👌🙏🙏

Lekhram Yadav said

यूॅं हॅंसा हॅंसा के मुझ को रुला गया कोई!
हर ख़ुशी का अंजाम ग़म है बता गया कोई!!

बहुत ही नायाब और बेहतरीन गजल, आपको आदाब अर्ज है अहमद भाई।

श्रेयसी said

आपकी रचना पर तो कुछ भी लिखने को शब्द हीं कम पडतें है। बहुत-बहुत सुंदर लाज़वाब 🙏🙏

वन्दना सूद said

शानदार रचना sir
क्या ग़ज़ब लिखते हैं sir आप 🙌🏻🙌🏻

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

तह-ए-दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, सुभाष जी! मेहरबानी! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, मनोज जी! नवाज़िश! आदाब! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

तह-ए-दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, सरिता जी! बहुत-बहुत इनायत आपकी! आदाब! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, यादव जी! नवाज़िश! आदाब! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

तह-ए-दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, श्रेयसी जी! इनायत! आदाब! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

Thank God कि आप आईं! मुझे तो लग रहा था कि अनजाने में मुझसे कोई ग़लती हो गई है जिसकी वजह से आप नाराज़ हैं! आज अपनी महफ़िल में आपको देख कर बेहद ख़ुशी हुई! दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, वन्दना जी! ❤️🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

परवेज जी, ये रचना खूबसूरत तो है ही बेशक। कुछ बीती बातें याद दिला दी।जो अपना अजीज हो,उसका दूर चला जाना वो भी बेपरवाह, दिल को दर्द बहुत होता है।ये रचना फिर से पढ़ने की इच्छा हो गयी, गजब की रचना लिखी है आपने। फिर से बधाई,तहे दिल से।👌👌👌🙏🙏🌹🌹

जयश्री विलास जोधंळे said

बहुत ही बेहतरीन गजल

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

एक बार फिर दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, मनोज जी! बहुत-बहुत मेहरबानी आपकी! आदाब! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

तह-ए-दिल से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, जयश्री जी! बहुत-बहुत इनायत आपकी! आदाब! ❤️🙏

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