जब से गुल खिला खुशबू निराली।
चमन महका मेरा दामन रहा खाली।।
रंग बिरंगी दुनिया में गरीबी बदरंग।
फ़रिश्ता होगा मुझे लगता ख्याली।।
कर्म मेरी धरोहर व्यवहार सतरंगी।
वक्त आयेगा मेरा भी होगी दिवाली।।
मेरे मन के दर्पण में छवि उभरती।
आयेगा जिन्दगी में होगा मेरा माली।।
हवा ने हिलाया मोहब्बत से 'उपदेश'।
तितली पराग ले गई दे गई खुशहाली।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद