कापीराइट गीत
धीरे-थीरे उगता सूरज ढ़लता धीरे-धीरे
क्या तुम ने देखा है, ऐसा प्यार कभी रे
दूर अंधेरा होता है तेरी एक किरण से
रिश्ता तेरा है प्यारा धरती और गगन से
राग अनौखा रोज यहां पर बनता धीरे-धीरे
क्या तुमने देखा है .................
नया संदेशा लाती है सुबह रोज हमारी
तेरे एक ईशारे पर जगती दुनियां सारी
दोपहरी में धूप ये तेरी ढ़लती धीरे-धीरे
क्या तुमने देखा है ..................
दिन ढ़लते ही होती है तेरी छटा निराली
चांद सितारों के संग तूने बारात सजा ली
रात चांदनी प्यार में तेरे ढलती धीरे-धीरे
क्या तुमने देखा है .................
काश तुम्हारे जैसा ही होता प्यार हमारा
रौशन होता तेरे ही संग ये संसार हमारा
सोचा जैसा दिल में होता नहीं कभी रे
क्या तुमने देखा है ................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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