तुम भूल गए क्या
मैं भी तो इधर हूं ना
मैं अकेला
मैं तन्हा हीं सही
पर उदास नहीं हूं
हूं मैं शामिल
हर आवाजों में
पर मैं परेशान नहीं।
मैं धूल में भी
माटी में भी
मैं खेतों में
मैं सम्पूर्ण
हरियाली में भी।
मैं ना दिखूं
मैं मिट जाऊं
मैं रूठ जाऊं
मैं खो जाऊं
ये हो नहीं सकता।
रोकें लाख राहें मेरी
बहारें
मैं रुक नहीं सकता।
है चलना हीं मेरी
ययाति।
मैं थक नहीं सकता।
मैं हूं राह का अनुगामी
है मेहनत मेरा स्वामी
मैं गर्दीशो से डरता नहीं
मैं जीवन पथ पर चलने
से रुकता नहीं।
मैं चलता राहत हूं
मैं थकता नहीं
कोई साथ चले तो ठीक
मैं राह किसी की तकता नहीं
मैं थकता नहीं
मैं चलता रहता हूं
मैं आदमी हूं
मैं बहता रहता हूं
मै जीवन तरंगों
जीवन उमंगों में
तैरते रहता हूं।
मैं सतत् बढ़ते रहता हूं..
मैं सतत् चलते रहता हूं..
मैं सतत् चलते रहता हूं...