हिसाब का बहीखाता
डॉ.एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
जिंदगी एक बहीखाता है, न्यारा,
जहाँ हर कर्म का है लेखा सारा।
गुणों को जब दर्ज किया जाता,
पुण्य का खाता बढ़ता जाता।
हर नेकी पर मिलती है जमा,
खुशियों की होती है बड़ी रक़म।
सुकून से भर जाता है हृदय,
चेहरे पर चमक, होता है विजय।
अच्छे कर्मों का ब्याज भी मिलता,
भविष्य का मार्ग उससे ही खुलता।
नाम रोशन होता, यश बढ़ता,
हर तरफ बस सम्मान बरसता।
पर जब गुनाहों का इंद्राज हो,
पाप का कर्ज बढ़ता चला हो।
हर गलती पर घटता है मान,
बढ़ता जाता है अपमान।
कर्ज बढ़ता, चुकाना ही पड़े,
मन की शांति सब कुछ जड़े।
ये जीवन का है सीधा हिसाब,
हर कर्म का मिले सही जवाब।