आँखों ने आँखों को पल में,
जाने क्या-क्या कह डाला।
ख़ामोशी ने खोल दिये राज,
चेहरे को लाल कर डाला।।
अब के मौसम ऐसा बदला,
दिल मे उथल पुथल डाला।
बोली भाषा का काम नही,
नैनो ने खेल तमाम कर डाला।।
किस मनमौजी ने आ करके,
'उपदेश ' ये फूल खिला डाला।
एक पागल सी लहर उठी,
सारा का सारा मेल बहा डाला।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
Ghaziabad