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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

रूह की सदा - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

रूह की सदा - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'




तेरी याद आई तो सांसों में इक नशा आया,
ख़ामोशीओं के बीच कोई धड़कता सिला आया।

हर दुआ में तेरा नाम लिया था मैंने,
जवाब जब मिला, तो रूह तक हिला आया।

चाँदनी भी शर्माई, तेरे हुस्न के आगे,
रात भर तन्हा दिल में कोई ग़ज़ल लिखा आया।

सजल गई हैं आंखें अश्क़ों की आब से,
तेरी बेरुख़ी का मौसम आज फिर चला आया।

रात के सन्नाटे में भी तेरा नाम गूंजा,
जैसे रब की ज़बां से कोई फसाना चला आया।

लबों पे नाम तेरा था, दिल में सवाल कुछ और,
इक नशा तेरा, इक फ़ितूर बेहिसाब और।

तेरी ज़ुल्फ़ों की गिरहें भी मुझसे कुछ कह गईं,
ये मोहब्बत है कि है कोई पुराना हिसाब और?

मैं जिसे जान समझता रहा उम्र भर,
वो निकला आईना — मगर अजनबी ख़्वाब और।

तेरा साया भी आजकल रूठा-रूठा सा है,
जैसे रिश्तों में कोई बाकी हो ख़िताब और।

कभी तू समझा नहीं, कभी मैं कह न सका,
इस मोहब्बत में बस चुप्पियों का हिसाब और।


----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

सुप्रिया साहू said

बहुत खूबसूरत एवं लाज़वाब रचना 👌👌 अशोक सर बहुत दिनों बाद आपकी रचना पढ़ने को मिली, सब ठीक-ठाक तो है न, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Bahut Bahut Abhaar Supriya Mam, Aapko Saadar Pranam 🙏🙏.. Ji Maafi Chahunga Bahut din lage kuch likhne m, lekin jese hi sambhav ho paaya aapke saamne prastut kar diya, aapki sameeksha ke liye shukragujaar hun.

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

रात के सन्नाटे में भी तेरा नाम गूंजा। कभी तू समझा नहीं, कभी मैं कह न सका। खूबसूरत पंक्तियां, वाह! अशोक जी नमस्कार!

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Bahut Bahut Abhaar Adarneey Manoj Ji..

Shiv Charan Dass said

बहुत सरल सहज सुन्दर

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Bahut Bahut Aabhaar Adarneey Daas Sir..Pranam..

रीना कुमारी प्रजापत said

Kabhi tu samjha nhi kabhi main kah na saka.... Jin rishto mein kahna pade or jo bina kahe na samajhe waha kuch na kuch kami zarur rah jaati hai.. bahut sundar 👌✍️🙏 pranaam or bahut bahut shukriya update karne ke liye...

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Thank you very much mam, for valuable feedback. Pranam..

वन्दना सूद said

मैं जिसे जान समझता रहा उम्र भर, वो निकला आईना — मगर अजनबी ख़्वाब और।👌👌बहुत खूब

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Bahut Bahut Shukriya Mam. Saadar Pranam...

प्रभाकर said

यह रचना मुझे बहुतही अच्छी लगी l क्या लिखूं सोचते सोचते रह गया l अशोकजी आप बहुत अच्छा लिखते है और भी आपकी रचनाएँ है जो बहुत ही खूसूरत है आप ऐसेही लिखते रहे और हम पढ़ते रहे l सादर प्रणाम अशोकजी 👏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपको रचना पसंद आयी में कृतार्थ होगया, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय प्रभाकर सर जी सराहना एवं रचना को पढ़ने के लिए, आपकी रचनाओं का बेसब्री से इंतज़ार रहता है

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