जलवायु वही नहीं रहती,
मौसम भी वही नहीं रहता !!
कब चालीस से चवालीस हुआ,
ना जाने आगे क्या होगा ??
पौधे कम हो रहे दिनबदिन,
गाँव-आँगन वही नहीं रहता !!
बदलाव ज़माने की फ़ितरत है,
हमसफ़र भी वही नहीं रहता !!
ना दावा कभी किया करिये,
हम जवाँ ही रहेंगे ऐसे हरदम !!
है चाल नहीं रहती वही,
हालचाल वही नहीं रहता !!
लोरियाँ सुनाने नहीं आया,
ना ही जी बहलाने आया यहाँ !!
मेहफ़िल भी वही नहीं रहती,
अन्दाज़ वही नहीं रहता,
सपने भी बदलते रहते हैं,
पसंद वही नहीं रहता !!
सर्वाधिकार अधीन है