Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

अब दुश्मनों की मुझको जरूरत नहीं-ताज मोहम्मद

दोस्तों नें मेरे मुझको सिखाया तो बहुत
कि अब दुश्मनों की मुझको जरूरत नहीं |
दे दिया है हमनें जिसको कुछ भी सही
फिरसे पानें की उसको मुझे हसरत नहीं ||1||

तन्हा करके वह सफर में मुझको यहाँ
साथ दूसरों के जानें कब से चलनें लगे |
मोहब्बत मेरी थी उनसे रूह से रूह की
मेरी जानिब से उनसे कोई अदावत नही ||2||

ऐसा नहीं है कि मुझको तुमसे ज़िन्दगी
कोई भी शिकवा और शिकायत नहीं |
नाशाद हूँ मैं अपने दिल बहुत ही मगर
गिला करना किसी से अब आदत नही ||3||

दिल दुखाने की हमेंशा तेरी कोशिश रही
इसके बिन तुमको कुछ भी आता नहीं |
गर सीरत नही किसी मे तो कुछ भी नहीं
सूरत से तो होता कोई भी खूबसूरत नहीं ||4||

हमनें भी देखे है दुनिया मे पैसे वाले बहुत
पर खुश हो सभी भी ये तो मुमकिन नहीं |
ऐसी कमाई मेरे मौला ना दे मुझको कभी
कि जिसमें तेरी हो कोई भी बरकत नहीं ||5||

माना ऐ ज़िन्दगी मैं परेशाँ हूँ तुझसे बहुत
पर अकीदा खुदा पर से मेरा उठा तो नही।
माफ करना तो आदत सी हो गयी है मेरी
इससे बढकर मेरी कोई भी शराफत नही ||6||

मुफलिसी में किसी का दिल दुखाना नही
ये बात उस रब ने कही है सब से मैनें नही |
आजमाइश ना करना नामाजों की कभी
ऐसी खुदा को पसंद कोई भी इबादत नही ||7||

ताज मोहम्मद
लखनऊ




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Vineet Garg said

Behatreen rachna🙏👏

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई साहब।

Ankush Gupta said

बेहद खूबसूरत रचना 👏👏 शब्दों का बहुत सुंदर चयन किया है आपने 👍

ताज मोहम्मद replied

आपका ह्रदय से धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut hi Sundar Taj Saahab Kamaal Ka Likha Hai..deri se upsthiti ke liye kshma prarthi hun

ताज मोहम्मद replied

अरे sir शर्मिंदा न करें। हां ये बात तो सत्य है कि हमे आपकी समीक्षा का इंतजार रहता है। बहुत बहुत शुक्रिया।

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन