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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अब दुश्मनों की मुझको जरूरत नहीं-ताज मोहम्मद

दोस्तों नें मेरे मुझको सिखाया तो बहुत
कि अब दुश्मनों की मुझको जरूरत नहीं |
दे दिया है हमनें जिसको कुछ भी सही
फिरसे पानें की उसको मुझे हसरत नहीं ||1||

तन्हा करके वह सफर में मुझको यहाँ
साथ दूसरों के जानें कब से चलनें लगे |
मोहब्बत मेरी थी उनसे रूह से रूह की
मेरी जानिब से उनसे कोई अदावत नही ||2||

ऐसा नहीं है कि मुझको तुमसे ज़िन्दगी
कोई भी शिकवा और शिकायत नहीं |
नाशाद हूँ मैं अपने दिल बहुत ही मगर
गिला करना किसी से अब आदत नही ||3||

दिल दुखाने की हमेंशा तेरी कोशिश रही
इसके बिन तुमको कुछ भी आता नहीं |
गर सीरत नही किसी मे तो कुछ भी नहीं
सूरत से तो होता कोई भी खूबसूरत नहीं ||4||

हमनें भी देखे है दुनिया मे पैसे वाले बहुत
पर खुश हो सभी भी ये तो मुमकिन नहीं |
ऐसी कमाई मेरे मौला ना दे मुझको कभी
कि जिसमें तेरी हो कोई भी बरकत नहीं ||5||

माना ऐ ज़िन्दगी मैं परेशाँ हूँ तुझसे बहुत
पर अकीदा खुदा पर से मेरा उठा तो नही।
माफ करना तो आदत सी हो गयी है मेरी
इससे बढकर मेरी कोई भी शराफत नही ||6||

मुफलिसी में किसी का दिल दुखाना नही
ये बात उस रब ने कही है सब से मैनें नही |
आजमाइश ना करना नामाजों की कभी
ऐसी खुदा को पसंद कोई भी इबादत नही ||7||

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Vineet Garg said

Behatreen rachna🙏👏

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई साहब।

Ankush Gupta said

बेहद खूबसूरत रचना 👏👏 शब्दों का बहुत सुंदर चयन किया है आपने 👍

ताज मोहम्मद replied

आपका ह्रदय से धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut hi Sundar Taj Saahab Kamaal Ka Likha Hai..deri se upsthiti ke liye kshma prarthi hun

ताज मोहम्मद replied

अरे sir शर्मिंदा न करें। हां ये बात तो सत्य है कि हमे आपकी समीक्षा का इंतजार रहता है। बहुत बहुत शुक्रिया।

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