गुलशन को बसाने वाले नजर नही आते।
कुछ राज इस तरह होते खबर नही आते।।
जलसे में मौज मस्ती हँसाने का सिलसिला।
गैरी के बीच में 'उपदेश' दर्द बाहर नही आते।।
मन मसोस कर रह गया हौसला कर न पाया।
सपनों को सच करने हमदर्द घर नही आते।।
कुछ भी कर हवाओं मे महल बनाना कठिन।
गहरे ज़ख्म ठीक होने के आसार नही आते।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद