दीयों की रोशनी से मन का अंधकार मिटता नही।
आलम ऐसा हुआ कि मन कहीं भी ठहरता नही।।
आशा किससे करें 'उपदेश' बेदम है सभी के मन।
खिल खिला कर खुद हँसे मुबारकबाद कहा नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
Ghaziabad
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