मैं किसी का हमराही नहीं,
पर यक़ीन है इतना—
किसी के ख़्वाबों में आकर,
हर रोज़ कुछ पल उसके साथ चलता हूँ।
न मैं किसी का वर्तमान हूँ,
न ही किसी की जुस्तजू,
बस किसी के खुशनुमा अतीत का
एक झरोखा हूँ।
ख़्वाबों में ज़िंदा रहना,
मेरी तक़दीर है।