स्वार्थी- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन
"विख्यात"
स्वार्थ के लिए,
कुछ भी कर जाते हैं।
रिश्तों को तोड़कर,
नया जाल बुनते हैं।
दगाबाजी करते हैं,
बेईमानी करते हैं।
समाज को बर्बाद करते हैं,
कपट के जाल में।
फंसकर लोग तड़पते हैं,
विश्वास खोकर।
अकेले रह जाते हैं,
धोखे की आग में।
जलकर राख हो जाते हैं,
मन की शांति खोकर।
रोते रह जाते हैं,
सच बोलना।
ईमानदारी रखना,
ये गुण ही हमें।
महान बनाते हैं,
छल कपट से दूर रहकर।
हम एक,
अच्छा समाज बना सकते हैं।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




