भूल गया फूल जैसे नसीब में खुशबू नही।
जम्हूरियत में एक अदद रहम दिल नही।।
तरक्की की चाहत मुझसे दूर ले गई उसे।
कभी पसन्द रहा अब वो रहम दिल नही।।
सपने बेचूँ तो किसे कोई सुनने वाला नही।
एक रही रहम दिल अब उसके दिल नही।।
लम्बी हुई गम की रात मगर रात ही तो है।
उजाला होने का इंतजार 'उपदेश' हल नही।।
कभी गुमान करते थे अपने नसीब पर हम।
बदले मौसम में उस तरफ से कोई पहल नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




