ज़िंदगी क्या होती है ,
ज़िंदगी क्या होती है ?
ज़िंदगी क्या होती हैं ?
कोई क्या कहता है
तो कोई क्या करता है ?
ज़िंदगी में कभी कोई
किसी को कुछ सुनाता रहता है
तो बेचारा कोई सुनता रहता हैं ।
कोई कुछ करता रहता है
तो कोई देखता रहता है ।
कोई अच्छे काम करके भी
अपनी ज़िंदगी से परेशान रहता है
तो कोई ग़लत काम करके
ज़िंदगी से खुश रहता हैं।
ज़िंदगी क्या होती है ,
ज़िंदगी क्या होती है ?
ज़िंदगी क्या होती हैं ?
कोई गरीबी के कारण
अपनी ज़िंदगी से परेशान रहता है
तो कोई अमीर होकर
ज़िंदगी से खुश रहता है।
ज़िंदगी से कोई किसी के ताने
सुनकर परेशान हो जाता है
तो किसी के दिल में
किसी को भला - बुरा कहने से
सुकून पैदा होता हैं।
कोई किसी की परेशानी से
दुःखी होता है तो कोई किसी को
परेशान करके खुश होता हैं ।
यही ज़िंदगी है , यही ज़िंदगी है।
कोई ईमानदारी करके भी खुश नहीं हैं
तो कोई बेईमानी करके खुश होता हैं।
यही ज़िंदगी होती है , यही ज़िंदगी होती है ,
बस यही ज़िंदगी होती है।
< रीना कुमारी प्रजापत >