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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

वह राम है.....

ना जात ना धर्म के बंधन में बंधे हैं
जो भारत के कण कण में बसें हैं
जो पुरषोत्तम हैं सभी गुणों से परिपूर्ण हैं।
जो सुन्य से ब्रह्माण्ड तक जो अनंत हैं।
की जिसका अनुसरण मानव को महामानव
की जिसकी तर्पण सभी वियोगों को भूला दे।
जो अपनें रस में संपूर्ण श्रृष्टि को झूला दे।
जो है हिमालय से ऊंचा
जो सागर तक को नाथ कर सुखा दे।
जो अहंकार को मिट्टी में मिला दे।
जो है पुण्य का रक्षक।
जो तक्षक तक को हिला दे।
जो केवट सबरी सुग्रीव विभीषण को
अधिकार दिला दे।
जो फ़र्ज़ ईमान अनुशासन वचन पर जिंदगी
बीता दे।
जिसमे सम्पूर्ण भारत एक सोंच की तरह झलकता है।
जिसका दिल केवल आर्यावर्त के लिए धड़कता है।
जो सदा हीं शुद्ध और शांत है।
जो शुरू से महान है।
जो धर्म की स्थापना के लिए अधर्म को
मिटाता है।
जो सम्पूर्ण भारत वर्ष का राजा है।
की जिसके राज़ है चमकती दमकती है सभी प्रजा।
जो सर्वत्र विद्धमान है..
जो भक्ति भाव का प्रभाव है..
जो प्रेम रस का प्रवाह है..
वह राम है .....
वह राम है....




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

राजू वर्मा said

Wah .....NYC

Shyam Kumar said

Jai shree ram..bahut sundar prastuti hai ram ji ki maryada or unke jivan ki. Ham sab unse bahut kuch sikh kr apne jivan m safal ho skte hai.

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar rachna pranaam sweekar karein

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