षड्यंत्र करोगे जैसे,
सोचो कर्म बढ़ेंगे कैसे।
नरक पशुगति में जाकर,
न जाने पाप काटेंगे कैसे।
बच्चों का भविष्य अंधकार मय,
शिक्षा का स्तर गिरा रहे।
अंकी इंकी डंकी लाल,
हर तरफ शोर मचा रहे।
शुल्क आया तो खाय रहे,
हर तरफ बवाल मचाय रहे।
जांच की परवाह नहीं,
परवाना कोई आया नहीं।
मुखिया अपना है ऐ!"विख्यात"
किसी का कोई सवाल नहीं।