मोको कहाँ ढूँढे बन्दे,मैं तो तेरे पास में
हर रूप प्रभु का मोहित करता
करें तो किसकी बड़ाई करें ?
उन सर्वसमर्थ प्रभु की
जिन्होंने मानव को रचा
या उस मानव की
जिनके ख्यालों ने अनदेखे प्रभु के असंख्य रूपों को रचा
प्रभु ने मानव को सांसें देकर सजीव बनाया
उसी मानव ने अपने मन के भाव से प्रभु की प्रतिमाओं को भी प्राणमय बनाया
सच तो यह है कि
ईश्वर को प्रसन्न करने का हर मुमकिन यत्न किया
कभी अपने मन को भी शुद्ध करने का यत्न किया होता तो
ईश्वर को प्रतिमाओं में नहीं अपने मन में ही ढूँढ लेते ..
वन्दना सूद