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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मोको कहाँ ढूँढे बन्दे,मैं तो तेरे पास में

मोको कहाँ ढूँढे बन्दे,मैं तो तेरे पास में
हर रूप प्रभु का मोहित करता
करें तो किसकी बड़ाई करें ?
उन सर्वसमर्थ प्रभु की
जिन्होंने मानव को रचा
या उस मानव की
जिनके ख्यालों ने अनदेखे प्रभु के असंख्य रूपों को रचा
प्रभु ने मानव को सांसें देकर सजीव बनाया
उसी मानव ने अपने मन के भाव से प्रभु की प्रतिमाओं को भी प्राणमय बनाया
सच तो यह है कि
ईश्वर को प्रसन्न करने का हर मुमकिन यत्न किया
कभी अपने मन को भी शुद्ध करने का यत्न किया होता तो
ईश्वर को प्रतिमाओं में नहीं अपने मन में ही ढूँढ लेते ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

Lekhram Yadav said

सच कहा आपने वन्दना जी, ईश्वर सदैव हमारे अन्दर ही मौजूद है, लेकिन हम उसे बाहर की दुनियां में ही खोजते रहते हैं, बहुत सुन्दर आपको सादर नमस्कार

वन्दना सूद replied

असल में sir सबको सब कुछ पता है फिर भी अपनी life में implement नहीं कर पाते 🙏🙏

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