कापीराइट गजल
जब मोहब्बत में हम बेअसर हो गए
हम किसी के लिए अब खबर हो गए
ये किस से पूछें कि क्यूं हुआ है ऐसा
अब किसी और की वो नजर हो गए
तुम से बनाए थे जो रिश्ते कभी हमने
वही रिश्ते मेरे लिए अब जहर हो गए
जिन गलियों से रोज ही गुजरते थे हम
उन गलियों से हम क्यूं दर-बदर हो गए
किस और से उठा है ये तूफां दिल में
दूर साहिल से हमारे सब लहर हो गए
यह कैसी बेबसी है यादव मेरे दिल में
संग टूटे हुए दिल के हम बेघर हो गए
- लेखराम यादव
... मौलिक रचना ...
सर्वाधिकार अधीन है