कोई प्यार करें,
जरूरी नहीं कि वो हरबार करें।
कभी तो प्यार खामोश होगा,
मगर शब्दों से कहने का बहाना हरबार होगा।
किसी के भीतर झांकने से,
कौनसा प्यार का विचार हरबार होगा,
मिलने का जमाना तो आर-पार होगा।
हमें प्यार को उतनी इज्ज़त से है समझना होगा,
नहीं तकरार पहले अपनों में होगा।
प्यार कोई शरीर नहीं है,
वो भावना है उसे समझों।
प्यार इंसानों में मिलेगा,
और प्रकृति उसे समझती है,
प्रकृति ही अपनी वस्तु को,
औरों के लिए बनाती है,
और अपना प्यार खूब लुटाती है।
समझना हमें हरबार है,
तभी जीवन अपार है।
ऊपर-नीचे होने से अच्छा,
प्यार को समझों,
अपने आपको ही अपना यार समझों।
कभी प्यार इंसानों में गिर जाता है,
और इंसान सिर्फ खोखले शब्दों में घिर जाता है।
इसलिए बदलों,
और अपने प्यार को समझों।।