यह संसार एक खेत
यह संसार एक खेत
इस खेत के हम एक किसान
बिन मोल चुकाए फसल खाते हैं
फिर भी पीढ़ी दर पीढ़ी कर्ज़े में ही रहते हैं ..
बिन मोल मिली सूरज की किरणें
मिले यहाँ निर्मल जल के कुएँ ,नदियाँ ,तालाब और झरने
मिली स्वच्छ पवन पेड़ों की जड़ता से
वहीं पवन को ठहराव मिला ऊँचे पर्वतों की दृढ़ता से ..
फल-फूल,धन-धान्य से भरपूर यह धरती मिली
समुद्र की लहरों को अनुशासित करती चन्द्रमा की किरणें मिली
तन को स्वस्थता,मन को निर्मलता और आत्मा को पवित्रता सिखाती प्रकृति मिली
जीवन को खुशहाल बनाती रंगों से भरी ऋतुएँ मिलीं..
इन खेतों की खेती अद्वितीय,बिन माँगे ही झोलियाँ भरती
पर किसान की मूर्खता देखो ,जिसने इनकी महता न जानी
अपनी प्रयोगशाला से वातावरण के पुनर्चक्रण को गवाया
बेबुनियाद अपनी उन्नति से स्थायी खेतों को बंजर कर डाला ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है